नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपके अपने वेबसाइट इंडिया टुडे लाइव पर दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम लोग जानेंगे कि भारत में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को कब भारत के लोकसभा तथा राज्यसभा में पेश किया गया था, तथा लोकसभा तथा राज्यसभा में बहुमत से किस तिथि पास हुआ तथा राष्ट्रपति ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को किस तिथि को स्वीकृति दी थी। आज के इस आर्टिकल में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य को देखेंगे। कृपया आप इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें।
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 –सूचना के अधिकार अधिनियम का यह तात्पर्य है कि सूचना पाने का अधिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला कोई राष्ट्र अपने नागरिकों को देता है। सूचना के अधिकार अधिनियम के द्वारा कोई राष्ट्र अपने नागरिकों को अपने कार्य तथा शासन प्रणाली को जनता के सामने सार्वजनिक करता है।
इस अधिनियम को UPA की सरकार द्वारा 2005 में लाया गया था।उस समय भारत के प्रधानमंत्री ने श्री मनमोहन सिंह से थे। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 (Right To Information 2005 ) लोकसभा में 11 मई 2005 को पारित किया गया था तथा राज्यसभा में इसे 12 मई 2005 को पारित किया गया था। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को राष्ट्रपति के द्वारा 15 जून 2005 को भारत के राष्ट्रपति के द्वारा इस अधिनियम को स्वीकृति मिली थी।
जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत देश में इसे 12 अक्टूबर 2005 को लागू कर दिया गया था। लेकिन जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित राज्य क्षेत्र में भी लागू कर दिया गया।
इस अधिनियम का सबसे प्रमुख उद्देश्य सार्वजनिक पदाधिकारियों से सूचना प्राप्त करने की पहुंच उपलब्ध कराना था। सितंबर 2014 में मद्रास के उच्च न्यायालय ने ने कहा कि आरटीआई आवेदक को सूचना मांगने का कारण भी बताना होगा
सूचना के अधिकार अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- विश्व में सबसे पहला देश स्वीडन था, जिसने 1766 ईस्वी में ‘फ्रीडम ऑफ प्रेस एक्ट” के तहत सूचना के अधिकार अधिनियम को अपने जनता के बीच इस अधिनियम को लाया था।
- अफ्रीका दक्षिण अफ्रीका विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जिसके संविधान में सूचना के अधिकार का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।
- मजदूर किसान संघ शक्ति संगठन द्वारा भारत में सूचना के अधिकार आंदोलन की मांग को प्रारंभ किया गया था।
- सर्वप्रथम Right To Information 2005 कानून का मसौदा वर्ष 1993 में कंजूमर एजुकेशन एंड रिसर्च काउंसिल (CERC ) अहमदाबाद के द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
- 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 (RTI ) को लागू होने से पहले तमिलनाडु (1997 ) में इस अधिनियम को लागू करने वाला भारत का पहला राज्य था।
देश की रक्षा व्यवस्था से जुड़ी जानकारियां को किसी भी अधिनियम के द्वारा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है अगर देश की रक्षा से जुड़ी जानकारी कोई बाहर लाता है, तो उसे सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा कठिन से कठिन दंड देने का भी प्रावधान है।
सूचना के अधिकार में शामिल
- अधिनियम के अंतर्गत दस्तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करना, प्रिंटआउट डिस्क, कैसेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सूचना को प्राप्त करना है।
- अगर कोई व्यक्ति सूचना मांगता है तो पीआईओ (PIO )का यह उत्तरदायित्व है उसे वह जानकारी 30 दिनों के भीतर ही वह व्यक्ति को जानकारी प्राप्त हो।
- अगर किसी व्यक्ति के द्वारा मांगी गई सूचना जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित हो तो उसे वह सूचना 48 घंटे के भीतर उपलब्ध कराना होगा।
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