सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में 5 जजों की पीठ ने ईडब्ल्यूएस आर्थिक रूप से कमजोर आरक्षण के प्रावधान वाले 103 वे संविधान संशोधन की वैधता को 3 अनुपात 2 के बहुमत से फैसला पक्ष में बरकरार रखा है। अदालत ने कहा है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है। संविधान पीठ ने आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली 40 याचिकाओं पर अपना अपना फैसला सुनाया। EWS
ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटा के पात्र सामान्य वर्ग से कौन होंगे
सामान्य वर्ग के उन्हीं लोगों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ मिलेगा जो निम्न पात्रता के अनुरूप होंगे :-
- परिवार की वार्षिक आय 8लाख से कम हो।
- कृषि योग्य भूमि 1 एकड़ से कम हो।
- 1000 वर्ग फुट से कम का आवासीय फ्लैट या घर हो।
- अधिसूचित नगर पालिका में 100 गज से कम का फ्लैट हो।
- गैर अधिसूचित नगरपालिका में 200 गज से कम का फ्लैट।
क्या है मामला
सांसद द्वारा जनवरी 2019 में पारित संशोधन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में खंड 6 को शामिल करके नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10% का आरक्षण प्रदान प्रदान करने का प्रावधान किया गया था। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 50% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। EWS
केंद्र सरकार का क्या है पक्ष
केंद्र सरकार की दलील है कि हमने 50% तक के आरक्षण के बैरियर को नहीं तोड़ा है। अटॉर्नी जनरल एवं सॉलीसीटर जनरल ने कोर्ट से कहा है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 50% आरक्षण की सीमा से छेड़छाड़ किए बगैर दिया गया है। अतः आरक्षण के 50% बैरियर को नहीं तोड़ा है।
जजों ने फैसले में क्या कहा
जैसा कि कहा गया है कि फैसला 3 अनुपात 2 का रहा है अर्थात तीन जजों ने ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने के पक्ष में फैसला दिया जबकि 2 जजों ने फैसले में अपनी सहमति नहीं दी।
आरक्षण के पक्ष में फैसला देने वाले जज:-
जस्टिस दिनेश महेश्वरी:-जस्टिस दिनेश महेश्वरी ने कहा कि आरक्षण सकारात्मक कार्य करने का एक जरिया है ताकि समाजवादी समाज समतावादी समाज के लक्ष्य की ओर एक समावेशी तरीके से आगे बढ़ा जा सके। यह किसी भी वंचित वर्ग यह समूह की समावेशित का एक साधन है आर्थिक आधार पर कोटा संविधान की मूल भावना के खिलाफ नहीं है। EWS
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी:-103 वे संविधान संशोधन को रद्द नहीं किया जा सकता ईडब्ल्यूएस के कल्याण के लिए उठाए गए कदम को सकारात्मक रूप से देखना होगा। एससी एसटी व ओबीसी को पहले से ही आरक्षण है। उन्हें सामान्य वर्ग के साथ शामिल नहीं किया जा सकता
जस्टिस जेवी पादरीवाला:-आरक्षण का मकसद सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है। यह अनिश्चितकाल तक जारी नहीं रखा जाना चाहिए ताकि यह निहितस्वार्थ ना बन जाए,इसीलिए मैं ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए हुए संविधान संशोधन के पक्ष में हूं।
आरक्षण पर सहमत नहीं होने वाले जज:-
जस्टिस एस रविंद्र भट्ट:- ईडब्ल्यूएस आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन से सहमत हूं। यह संशोधन असंवैधानिक और अमान्य है। यह संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन है।
चीफ जस्टिस यूयू ललित:- जस्टिस ललित ने कहा कि मैं जस्टिस रविंद्र भट्ट की विचारों से पूरी तरह से सहमत हूं।
जेसीआई यूयू ललित ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन इस कार्यवाही में हिस्सा लिया।
अंत में सुप्रीम कोर्ट का फैसला
ईडब्ल्यूएस कोटा के दायरे में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के गरीब नहीं आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अनुपात 2 के बहुमत से ईडब्ल्यूएस आरक्षण को बरकरार रखा है। इस तरह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जाने वाला 10 परसेंट आरक्षण जारी रहेगा।
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